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पहला नवरात्रा -शैलपुत्री- माता की कथा -- FIRST NAVRATRA -MATA SHAILPUTRI

नवरात्री (Navaratri) एक हिन्दुओं का पावन पर्व है, यह पर्व नौ दिनों तक चलता है नवरात्री (Navaratri) में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है जिसमे सबसे पहली मां शैलपुत्री (Shailputri) की पूजा अर्चना की जाती है नवरात्री (Navaratri ) के प्रथम दिन ही कलश स्थापना भी की जाती है तो आईये जानते हैं नवरात्रि का पहला दिन (Navratri Ka Pehla Din) -

Navratri Ka Pehla Din
नवरात्रि का पहला दिन -About The First Day Of Navaratri

प्रथम शैलपुत्री (Devi Shailputri) इनकी पूजा नवरात्र (Navratri) में सबसे पहले होती है, इनका वाहन वृषभ यानि बैल है,शैलपुत्री माता के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाए हाथ में कमल सुशोभित है। इस दिन की उपासना में योगी अपने मन को चक्र में स्थित करते है और यहीं से उनकी योग साधना शुरू होती है ऐसा कहा जाता है कि शैलपुत्री की पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है। देवी की पूजा के लिये यह मन्त्र है
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम।वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥
हिन्दू धर्म के अनुसार देवी शैलपुत्री मां पार्वती का ही अवतार है। दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव का अपमान होने के बाद सती यज्ञ कुण्ड में भस्म हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने राजा हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था तब उनका नाम पार्वती रखा था पर्वत की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल और कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, इसलिए इन्हें पार्वती एवं हेमवती के नाम से भी जाना जाता है।

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